मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार
बारिश जब आये तो मेरा और भी दिल घबराए
जुल्मी सावन मस्त हवा के झोंके ले कर आये
याद में तेरी दिल तडपे और नैना नीर बहाए
सजन मेरा तन, मन, धन सब तुझ पे जाए निसार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार
ज़रा सी आहट हो तो सोचूँ सजना लौट के आये
कब से घर के दरवाज़े पे बैठी आस लगाए
आजा ए बेदर्दी अब तो मुझ से रहा ना जाए
तेरे बीन इक बोझ सा लागे मुझ को यह संसार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार
रोज़ मेरी गलीयों में आये मुझ से आँख चुराए
जैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाए
जैसे इक प्यासे को कोई खाली जाम दिखाए
कैसे समझाऊँ मैं उसको प्यार नहीं व्योपार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार
कब तक ऐ बेदर्द रहेगा प्यार से तू अंजाना
एक झलक दिखादे जालिम दिल तेरा दीवाना
तेरे प्यार में जीना है और तुझ पे ही मर जाना
तेरे बिन जीवन का हर सच मेरे लिए बेकार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार
2 comments:
मोहब्बत में तड़पते हुए दिल की दास्तान ...विरह की वेदना....आप बहुत अच्छा लिखती हैं
मेरी कालम - मेरी अभिव्यक्ति
anil ji
aapke sare bhavon ko mehsoos kiya bahut abhari hoon
dhanyawaad
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