मेरा तो शाम से जी घबराए
दीया जलाते ही मन मेरा होता है बेचैन
रोज़ सितारे गिन गिन कटती मुझ दुखिया कि रैन
लम्बी लम्बी रातें मूझ को पल भर नींद ना आये
मेरा तो शाम से जी घबराए
अफसानों में लिखा हुवा है तेरा मेरा प्यार
तुझ पे दिल और जान निछावर साजन सौ सौ बार
प्यार में जो मिट जाये वोही तो दीवाना कहलाये
मेरा तो शाम से जी घबराए
सावन का मौसम आया जब काली बदली छाई
पानी कि ठंडी बूंदों ने तन में आग लगाई
इक बिरहन ऐसे में केसे तनहा रात बिताये
मेरा तो शाम से जी घबराए
किस को दर्द बताऊं किस को दिल का हाल सुनाऊं
शर्म के मारे सखियों से भी दिल की बात छुपायुं
नाम जुबां पे तेरा आते आते बस रह जाये
मेरा तो शाम से जी घबराए
दूर रहूँ मैं तूझ से यह मेरा दस्तूर नहीं है
दूर है मुझ से ऐ साजन तो फिर भी दूर नहीं है
दिल में जो रहता है दिल उसको ही ढूंढ ना पाए
मेरा तो शाम से जी घबराए
No comments:
Post a Comment