Thursday, July 23, 2009

मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार

मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार
बारिश जब आये तो मेरा और भी दिल घबराए
जुल्मी सावन मस्त हवा के झोंके ले कर आये
याद में तेरी दिल तडपे और नैना नीर बहाए
सजन मेरा तन, मन, धन सब तुझ पे जाए निसार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार

ज़रा सी आहट हो तो सोचूँ सजना लौट के आये
कब से घर के दरवाज़े पे बैठी आस लगाए
आजा ए बेदर्दी अब तो मुझ से रहा ना जाए
तेरे बीन इक बोझ सा लागे मुझ को यह संसार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार

रोज़ मेरी गलीयों में आये मुझ से आँख चुराए
जैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाए
जैसे इक प्यासे को कोई खाली जाम दिखाए
कैसे समझाऊँ मैं उसको प्यार नहीं व्योपार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार

कब तक ऐ बेदर्द रहेगा प्यार से तू अंजाना
एक झलक दिखादे जालिम दिल तेरा दीवाना
तेरे प्यार में जीना है और तुझ पे ही मर जाना
तेरे बिन जीवन का हर सच मेरे लिए बेकार
मेरा तो सब कुछ तेरा प्यार

2 comments:

अनिल कान्त said...

मोहब्बत में तड़पते हुए दिल की दास्तान ...विरह की वेदना....आप बहुत अच्छा लिखती हैं

मेरी कालम - मेरी अभिव्यक्ति

नीरा said...

anil ji

aapke sare bhavon ko mehsoos kiya bahut abhari hoon
dhanyawaad