Saturday, November 22, 2014

मांग आज भी कोरी है


माँ बाबा की लाडली बेटी
देखो कितनी अकेली है
ना हथेली पर हिन्ना है
ना ही कोई चूड़ी है

ओढ़ी नहीं सुहाग चुनरिया
मांग आज भी कोरी है
देखो चारों और उसके
ब्दनासिबी कैसी फैली है

जिन संग खेली आंख मिचोली
उठ गयी उनकी डोली है
माँ बाबा की लाडली बेटीदे
देखो कितनी अकेली है 

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