माँ बाबा की लाडली बेटी
देखो कितनी अकेली है
ना हथेली पर हिन्ना है
ना ही कोई चूड़ी है
ओढ़ी नहीं सुहाग चुनरिया
मांग आज भी कोरी है
देखो चारों और उसके
ब्दनासिबी कैसी फैली है
जिन संग खेली आंख मिचोली
उठ गयी उनकी डोली है
माँ बाबा की लाडली बेटीदे
देखो कितनी अकेली है