चहरे पे चहरा लगाकर झूटी प्रीत जताते हैं
किस तरह पास बुलाकर दिलबर दिलको तड़पते हैं .
दिखाते हैं ख्वाब हज़ारों सुनहरे हर दिन
लूटकर सपने, आँखोंसे खून टपकते हैं .
एक से दिल कहाँ भरता है हर्जाइयों का आजकल .
हमरी पीठ पीछे रंग रलियाँ मानते हैं .
वही फिर कभी मुडके मानने नहीं आते .
जो नाज़ उठा उठाके कभी रूठना सिखाते हैं .
अब हम भी सीख गए, तो हैरान नहीं होते .
पहले सोचते थे लोग आंसू कहाँ छिपाते हैं.
निरा किसकी कहानी पर ऐतबार करैं बेदर्दी.
केसे दिलफरेब अफसाने बनाकर सुनते हैं,
मासूमियत का नकाब चड़ा रखा है चहरेपर ,
केसे शिद्दतसे फरेबी प्यार की दुहाई फर्नाते हैं.
किस तरह पास बुलाकर दिलबर दिलको तड़पते हैं .
दिखाते हैं ख्वाब हज़ारों सुनहरे हर दिन
लूटकर सपने, आँखोंसे खून टपकते हैं .
एक से दिल कहाँ भरता है हर्जाइयों का आजकल .
हमरी पीठ पीछे रंग रलियाँ मानते हैं .
वही फिर कभी मुडके मानने नहीं आते .
जो नाज़ उठा उठाके कभी रूठना सिखाते हैं .
अब हम भी सीख गए, तो हैरान नहीं होते .
पहले सोचते थे लोग आंसू कहाँ छिपाते हैं.
निरा किसकी कहानी पर ऐतबार करैं बेदर्दी.
केसे दिलफरेब अफसाने बनाकर सुनते हैं,
मासूमियत का नकाब चड़ा रखा है चहरेपर ,
केसे शिद्दतसे फरेबी प्यार की दुहाई फर्नाते हैं.
4 comments:
बढ़िया शेर...कुछ अच्छी विचारों का संकलन..धन्यवाद
vinod ji
bahut bahut shukriya
अब हम भी सीख गए, तो हैरान नहीं होते .
पहले सोचते थे लोग आंसू कहाँ छिपाते हैं.
बेहतरीन शेर निकाले हैं, वाह!!
अब हम भी सीख गए, तो हैरान नहीं होते .
पहले सोचते थे लोग आंसू कहाँ छिपाते हैं.
बेहतरीन शेर निकाले हैं, वाह!!
sameer ji
aapko pasand aaye sher, aapki saharna ka dilse shukriya adaa karti hoon.
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