Saturday, August 4, 2012

माँ

माँ कौन होती है क्या जानम जो देती है वो ही माँ होती है

क्या नाव महीने का गार्ब ही एक औरत कोमा कहलाता है
यशोदा भी तो मा थी कान्हा बेटा देवकी का था

वो तो मा कहलाई है फिर आज जो पालती है
मा क्युं नही कहलाती उसने भी तो गीले में सो

बचे को सूखे पर सुलाया है।खुद ना खा करअपने
लाड़ले को खिलाया है रात रात जाग कर नन्ही जान को

सुलाती है फिर भी वो मा क्युंनही कहलाती है
मंदिरों मे दुआ मांगती मस्जिद चादर चढ़ती है

चर्च जा, जाकर गुरु द्वारे सलामती की अरदास करती है
मा क्यूँ नही कहलाती है मा का दर्ज़ा भगवान है

जहाँ वो नही वहाँ मा है।सब ग्रंथों में यह बात बताई है।
मा क्यूँ नही कहलाती है फिर आज क्यूँ उसपर उंगली उठाई है

क्यूँ एक माके सामने परीक्षा आई है यह परीक्षा आई है
क्यूँ अपने बचे की माना वो na कहलाई है

1 comment:

विजय तिवारी " किसलय " said...

neera ji
namaskaar
bhaav sadaa ki tarah bahut achchhe hain.
maan sachmuch aisi hi suni hai dekhi ja sakti hai par kash sabhi ki maan aisi hotin..................