Thursday, February 14, 2013

Khwaish


Khwaish

चाँद तारों में लपाट कर
बहारों में महक भर कर
मुहबत ने आज दिलबर
कैसा संदेशा भेजा है
पढ़ के चूम लेती हून
चूम के पढ़ लेती हून

राहों में पलकें बिछाकर
उमीदों के चिराज़ जलाकर
दिल में सनम के हलचल मचाकर
आँखों में कैसा ख्वाब भेजा है
देख के जाग जाती हून
जाग के देख लेती हून

आवाज़ की मीठी सरगम सजाकर
बोलों की मीठी धून बना कर
तन पैर मेरे जानम लिख कर
गीतों का कैसा पैगाम भेजा है
सुन के डूब जाती हून
डूब के सुनती जाती हून

महन्दी हाटों पैर लगवाकर
लाल जोड़ा पहन्वकर
हाट में चूडी, माथे बींद्या
आज एह कैसा शीनगर बैज़ा है
शर्मा के आईना देख लेती हून
आईना देख के शरमाती हून

आज क्या बात है किस के पास जाती हून
आज क्या बात है किसी को पास पाती हून 

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