Saturday, August 9, 2014

कठपुतली

मोहे कठपुतली ना
बनावे कोई
हूँ भी उपरवाले
की संतान हूँ
मारे सीने मा भी
दिल होअय है
कठे फिर सारे मारे दिल
तोड़ने पर लागे हैं

जे कोई चावे
मने अपने तरीके से
नचावे है
जीहाँ चाहे ले जावे है
कोई मने वि तोः पूछो
मारा मन के चावे है
सारे रिश्ते में धोका
ही तोः होअय है.

पति नोः प्यार झूठा
वो भी बिन्द्नी बाहर
राखे है.
बचे वी तोः आपने
ना होए हैं
पुत्री तोः ब्याह कर
बिन्द संघ
आपने घर जावेगी
छोरा बिन्दनी का
हो जावे है

मारो तोः अनचाल
खाली ही राख्यो
भगवन ने
जीने वी अपनों बनायो
आपने ही वास्ते निकलो .
मै आब ना कोई के
हाथ की कठपुतली बनू
अब तोः मारो विश्वास
भी उठ गयो है
सब पर सो

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