Thursday, July 30, 2009

गंगा तो बहती जाएगी

खुद में सब को समाएगी
करते हैं पाप जो दिन रात
उनके लिए भी मुक्ति लाएगी
गंगा तो बहती जायेगी

लूटते किस तरहां ज़िंदगियाँ
बैठ के गंगा किनारे फिर
जप्पते हैं राम नाम यह
करते हैं बलात्कार भी
इक दिन ज़िंद ताड़पाएगी
गंगा तो बहती जाएगी

चोरी डकैती इनके शौक़ हैं
हथियार से होली खेलते हैं
आतंक फैला रखा है यहाँ
देश को भी बैच देते हैं
इक दिन उफान ये लाएगी
गंगा तो बहती जाएगी

गंगा सब कुछ जानती है
पापी के लिए भी रो लेती है
दिल उसका बहुत महान है
सब के पाप धो देती हैं
वो दिल शिव-शिव कहलाएगी
गंगा तो बहती जाएगी

पाप या हो आस्तियाँ किसी
किहर चीज़ बहा ले जाती है
गंगा जल पावन है इतना
जिसे छूए उसे भा जाती है
हर दिल में जगह बनाएगी
गंगा तो बहती जाती ही

शिव केशसे उतार मा गंगा
भाव सागर में मिल जायेगी

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