Sunday, December 14, 2008

ज़िंदगी एक पहेली है

ज़िंदगी एक पहेली है
कभी खुशी तो कभी
गम की सहेली है.
दिखती है राह प्यार की
तडप भी दे जाती है
कभी तो यह सपने दिखती है
कभी उनको भी चीन जाती है.
ज़िंदगी अजीब पहेली है
वो तेरी नही मेरी सहेली है

कभी यह नगमे सजाती है
कभी आवाज़ ही ले जाती है
किसिको चलना सीखती है
किसी की बैसाखी ले जाती है.
किसिको औलाद से नवाज़ती है
किसिको बे-औलाद कर जाती है.
ज़िंदगी अजीब पहेली है

कभी वो आसमान पर बिठाती है
कभी धरती ही चीन जाती है
ज़िंदगी है तो साँसे चलती है
थम जाए तो मौत दे जाती है
अगर आज एक राह बाँध की है
तो कल दूसरी खोल जाती है.
ज़िंदगी बहुत कुछ दे जतती है
कभी बहुत कुछ चीन जाती है.
ज़िंदगी अजीब पहेली है
नीरा यह गम ओर खुशी की सहेली है
Nira

1 comment:

विजय तिवारी " किसलय " said...

नीरा जी
नमस्कार
वाकई जिन्दगी एक पहेली से कम नहीं है,
यदि हम इसे हल करना जानते होते तो शायद
इस दुनिया में कोई भी दुखी नहीं होता
अच्छी रचना के लिए बधाई
आपका
-विजय