Thursday, December 4, 2008

मुजे कफ़न भेज दो पापा.

मुजे कफ़न भेज दो पापा.
मुजे कफ़न भेज दो पापा.
पापा कफ़न भेज दो....
पापा कफ़न भेज दो
आपके बिना कैसे जीयुऊँ
आपके बिना दुनिया ख़ाली है
मुन्ना का भी भेज दो
मेरा कफ़न भेज दो मुझे
पेंसिल भी नही चाहिए
स्कूल की ड्रेस्स भी नही चाहिए
कोई गुरिया भी नही चाहिए

आपकी बहुत याद आती है
जब उंगली पकड़ कर चलना सिखाया.
जब रात जाग कर मुजे सुलाया.
पहली बार जब पढ़ना सिखाया.
खेलों में भी साथ निभाया.
मेरा आब साथ दे दो पापा

मेरे क़दम जब भी डगामाए.
सिद्धि रह पैर आप ही लाए.
आज फिर वो गाड़ी आई है
दुनिया मेरी डज़मगाई है
सिर्फ़ आपकी ही परछाई नज़ार आई है

जो मुजे आप तख पहुँच दे.
आपकी मज़बूत बाहों में छ्छूपा दे
एक बार फिर वो सहारा दे दो
पापा मेरा कफ़न भेज दो
पापा मुजे गुम से बचलो

अपनी गोद में सुलालो
एक मीती नींद सोना चाहती हूँ
अपनी लड़ली को सूलादो पापा.
मुजे मेरा कफ़न भेज दो पापा.
मुजे मेरा कफ़न भेज दो पापा

नीरा

2 comments:

Manoj Kumar Soni said...

http://unicodehindi.blogspot.com/

नीरा said...

हिन्दुस्तानी जी
आपका ब्लॉग पर स्वागत है
निरा